Monika garg

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लेखनी कहानी -12-Apr-2022 शोर्ट स्टोरी लेखन # संदूकची

कमलादेवी का भरा पूरा परिवार था ।चार बेटे और एक बेटी सब अपनी अपनी गृहस्थी वाले थे। कमलादेवी ने कोई मोती ही दान किये थे जो ऐसे बच्चे दिए थे भगवान ने ।सबसे बड़ा गिरधारी था जिसके बच्चे भी शादी लायक हो गये थे पर वो जब भी मां की कोठरी मे आता तो बच्चा बन जाता था । अस्सी साल की बूढ़ी कमलादेवी बस अपने बच्चों को निहारती रहती थी और मन ही मन भगवान का शुक्र अदा करती थी कि भगवान तूने पति छोटी उम्र मे छीन लिया तो क्या बच्चे हीरे दिये है हीरे। सारा दिन अपने परिवार को देखती रहती और मुस्कुराती रहती । चारों बेटे बहू कमलादेवी के पैरों नीचे हथेली देते थे।यही हाल पोते पोतियों का था।बेटी भी जब घर आती तो मां की कोठरी में ही बैठी बतियाती रहती मां से । भाभियां तो बारी बारी से आकर कभी पैर दबा जाती कभी कुछ ले आती खाने के लिए भावजे ननद बाई का बहुत ख्याल रखती।यही देख देख कर कमला देवी मन ही मन खुश होती थीं।
सारा परिवार एक सूत्र मे बंधा था।कमला देवी के पास पुश्तैनी गहने थे जो वह अपने जीते जी बहुओं मे बांट देना चाहती थी वह नही चाहती थी कि उसके पीछे से घर मे लड़ाई झगड़ा हो ।पर वह गहने बांटे तो बांटें कैसे अगर वो ही बंटवारे की बात करती तो बहुएं और चीजें भी बांटने को बोलती ।वह इसी उधेड़बुन में रहती।
एक दिन कमला देवी को अचानक से ब्रेन स्ट्रोक हो गया । कमलादेवी की बेटी दामाद दौड़े दौड़े आये ।बेटी आते ही मां के पास चली गयी वह मां की चारपाई के पास बैठी तो उसे ऐसे लगा मां अपनी अलमारी की तरफ इशारा कर रही है और करते करते बेहोश हो गयी ।उन की बेटी सोचने लगी मां ऐसे अलमारी की तरफ क्या इशारा कर रही है पर जब तो उन्हें कमलादेवी की पड़ी थी आनन फानन मे कमलादेवी को शहर के अस्पताल ले गये । बड़ा बेटा गिरधारी साथ गया था वहां जाते ही मां को आईसीयू में भर्ती कर दिया गया। गिरधारी ने घर फोन करके कहा,"मां की हालत मे अभी सुधार है । मैंने बाहर से देखा था मां ने आंखे खोल कर मेरी तरफ देखा था ऐसा लग रहा था कुछ कहना चाहती है पर फिर आंखे मूंद ली। लगता है कुछ दिनों मे ठीक हो जाएगी।"
घर मे सब ने चैन की सांस ली कि चलों तबीयत मे कुछ तो सुधार है आज नीला (कमलादेवी की बेटी) अपनी मां के कमरे मे सोई थी ।मां अस्पताल मे आईसीयू मे हो तो बेटी को नींद कहां आती है वह सारी रात मां के विषय में सोचती रही बड़ी भाभी साथ ही सो रही थी ननद को  करवटें बदलते देखकर बडी भाभी बोली,"क्या बात जीजी नींद नही आ रही है क्या मै समझ सकती हूं वो मां है आप की पर अब आप से ज्यादा वे हमारी मां है आप चिंता ना करो मांजी जल्द ही ठीक होकर घर आ जाएगी।"दोनों ननद भाभी यूं ही सारी रात बातें करती रही सुबह तीन बजे उनकी आंख लगी घंटा भर ही हुआ होगा कि अचानक से नीला की आंख खुल गयी उसे ऐसे लगा जैसे मां आंगन मे राम राम का जप कर रही है । कमलादेवी की ये बहुत पुरानी आदत थी वह सुबह चार बजे उठ जाती थी अपना बेंत लेकर थोड़ी देर आंगन मे टहलती थी साथ ही रामराम का जप करती थी फिर धीरे धीरे अपना नित्य कर्म करके स्नान ध्यान करती थी।आज भी नीला को यही लगा जैसे मां नित्य कर्म के लिए उठ गयी है और आंगन मे टहलते हुए राम नाम ले रही है । लेकिन जब थोड़ा चेता (ध्यान देना)किया तो याद आया मां तो अस्पताल में भर्ती है यहां कहां आ गयी फिर भी नीला का मन नही माना तो उसने आंगन मे आकर देखा मां वास्तव मे वहां टहल रही थी वह मां के पास जाकर बोली," मां तुम ठीक हो गयी और तुम अस्पताल से कब आयी और गिरधारी भाई कहां है ?" मां  मुस्कुरा भर दी और बोली,"अरी ठहर तो ।अब मुझे कोई दर्द नही है गिरधारी सो रहा था इसलिए मैंने उसे नही जगाया मै अपने आप आ गयी यहां और सुन तू घर की बेटी है ।बेटी मां की राजदार होती है मैंने अपनी अलमारी मे एक संदूकची मे एक कागज रखा है उसे पढ़ लेना अच्छा अब मै जल्दी से जाऊं।"नीला पीछे से आवाज़ देती रह गयी मां तुम अकेली कहां जाओगी मै अभी छोटे को जगा देती हूं पर इतने तो कमलादेवी गेट से बाहर निकल कर अंधेरे मे लोप हो गयी।नीला की तंद्रा तब भंग हुई जब बड़ी भौजाई उसे झिंझोड़ कर जगा रही थी वह बोली ,"जीजी यहां खड़ी किसे रोक रही थी और कह रही थी कि छोटे को जगाती हूं। कौन था फाटक के पास ?"
नीला जब होश मे आयी तो बोली,"भाभी तुमने मां की आवाज नही सुनी मै तो मां की आवाज सुनकर यहां आयी थी मां कह रही थी अब दर्द ठीक है पर मुझे ये समझ नही आया मां इतने सुबह अपने आप घर कैसे आ गयी ?"
बड़ी बहू ने सोचा शायद जीजी ने मां की ज्यादा चिंता कर ली तभी उन्हें हर जगह मां दिखाई दे रही है उसने नीला को बैठा कर पानी ही दिया था की फोन घनघना उठा । बड़ी बहू ने फोन उठाया तो दूसरी ओर गिरधारी की रोते हुए आवाज आ रही थी उसने कहां मां हमे आज सुबह तड़के हमे छोड़ कर चली गयी। मैं तो सो रहा था दो मिनट मेरी आंख लगी थी पर जब उठा तो मां हमे सदा के लिए छोड़कर जा चुकी थी।"
बड़ी बहू की जोर से चीख निकल गई ,"हाय मां जी हमे छोड़ गयी।"
नीला ने अचरज भरे शब्दों मे कहा,"ये कैसे हो सकता है मां अभी तो यही थी मेरे पास बैठी बातें कर रही थी और मुझे अपनी अलमारी मे रखी संदूकची मे से एक कागज का टुकड़ा सबके सामने पढ़ने को बोला है।"नीला दौड़ी दौड़ी अपनी मां की अलमारी में से वह संदूकची निकाल लायी और जब उसे टटोला तो वास्तव मे उसमे एक कागज का टुकड़ा था जिसपर लिखा था

"मै जीते जी अपने बच्चों को कभी अलग होने की सीख नही दूंगी पर मेरे बच्चों मै नहीं चाहती कि तुम मेरे मरने के बाद सोने चांदी के लिए लड़ो। इसलिए मैने नीचे सब लिख दिया है कौन सी बहू को क्या मिलेगा पुश्तैनी गहनों में से जब तुम ये कागज पढ़ो गे तो मै जा चुकी होगी मै यही चाहती हूं कि तुम सब ऐसे ही गहने बांटना।"
ये पढ़ कर चारों बहुओं की आंखें भर आयी वे अपनी सास की तस्वीर के आगे नतमस्तक हो गयी जिन्होंने ने मर कर भी अपने परिवार की एकता को बनाए रखा ।

जोनर# होरर

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10 Comments

Abhinav ji

28-Apr-2022 09:43 PM

बहुत खूब बहुत ही सुंदर लिखा है

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Seema Priyadarshini sahay

20-Apr-2022 04:40 PM

हॉरर के साथसाथ बहुत ही प्रेरक भी है।

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Shnaya

19-Apr-2022 07:57 PM

Very nice 👍🏼

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